ISKCON के 4 नियम क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या ISKCON(International Society for Krishna Consciousness), आचार्य A.C भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा 1966 में स्थापित हुआ था जो ज्यादातर हरे कृष्ण Movement के नाम पे जाना जाता है। आज हम जानेंगे ISKCON के 4 नियम क्या है? और कैसे सारे नियमों को पालन करते है? यहाँ के सभी अनुयायी बिशेषतः 4 नियम का पालन जरूर करते है।
Table of Contents
ISKCON के 4 नियम क्या है?
- No Gambling – जुआ नहीं खेलना।
- No Intoxication – नशा का सेवन नहीं करना।
- No Illicit Relationship – अवैध संबंध नहीं रखना।
- No Meat Eating – मांस भक्षण नहीं करना।
ये 4 नियम क्यूँ पालन करना है?
हर मनुष्य ये जरूर चाहता है की उससे स्वतंत्रता मिले और जीवन भर हमेशा खुस रहे, श्रीमद भागवत के अनुसार
ऋषभ उवाच
नायं देहो देहभाजां नृलोके
कष्टान् कामानर्हते विड्भुजां ये ।
तपो दिव्यं पुत्रका येन सत्त्वं
शुद्ध्येद्यस्माद् ब्रह्मसौख्यं त्वनन्तम् ।। [B.G-5.5.1]
अनुबाद: भगवान ऋषभदेव ने अपने पुत्रों से कहा, “मेरे प्यारे बालकों, इस संसार में जिसे यह मानव शरीर प्राप्त हुआ है, उसे केवल इंद्रिय तृप्ति के लिए दिन-रात कठोर परिश्रम नहीं करना चाहिए, जो मल खाने वाले कुत्तों और सूअरों को भी उपलब्ध है। भक्ति सेवा के दिव्य पद को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को तपस्या और कठिन परिश्रम में संलग्न होना चाहिए। ऐसी गतिविधि से व्यक्ति का हृदय शुद्ध होता है, और जब वह इस पद को प्राप्त करता है, तो वह शाश्वत, आनंदमय जीवन प्राप्त करता है, जो भौतिक सुखों से परे है और जो हमेशा जारी रहता है।
तप: शौचं दया सत्यमिति पाद: कृते कृत:।
अधर्मांशैस्त्रयो भग्ना: स्मयसङगमदैस्तव ॥ [B.G-1.17.24]
सत्ययुग मे धर्म की पहचान तप, शौच, दया और सत्य इन चार सिद्धांतों द्वारा होते थे। ISKCON के ये 4 नियम भी इसी पर आधारित है, ये ISKCON के द्वारा बनाया हुआ नहीं बल्कि हमारे शास्त्र में युगों पहले से लिखित है। और कलियुग में ये 4 नियम पालन करने से आप इसके प्रभाब से बच पाएंगे।
इसीलिए समस्त मानव जाती को ये चार नियम पालन करना चाहिए, ये केवल हिन्दुओं के लिए नहीं समस्त पंथ और संप्रदया के लोगों के लिए है। क्यूँ की मानव धर्म ही करुणा और दया का प्रतीक है ।
महाराज परीक्षित और कलियुग का भेट।
महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव के आखिरी वंशज, अभिमन्यु के पुत्र महाराज परीक्षित ही जीबीत थे। शास्त्रों मे बर्णन है राजा परीक्षित के शासन काल में सब कुछ धर्म के आधार पर चल रहा था, कारागार मे जंग लग गएथे, राज्य मे युद्ध के बदले यज्ञ होते थे और दूर दूर तक कहीं भी अपराध नहीं होते थे।
एक दिन राजा परीक्षित राज्य भ्रमण के लिए निकले तो देखा एक ब्रुशभ एक पैर पर खड़ा है, बाकी के तीन पैर कटे हुए है और उसे मारने केलिए एक कुरूप ब्यक्ति पीछे खड़ा है । राजा परीक्षित तुरंत अपनी तलवार निकाले उस ब्यक्ति को मरने के लिए। फिर उसने अपना परिचय देते हुए बोला मैं कलियुग, ये ब्रुशभ धर्म है इसके चार पैर “सत्य,तप, शौच और दया” तीन मैंने काट दिए अब चौथा पैर बचा है “सत्य“। लेकिन महाराज ने उसे अपने राज्य मे प्रवेश नहीं दिया।
कलियुग कहाँ रहता है?
श्रीमद भागबत में वर्णन है, सृष्टि की नियम सत्य-त्रेता-द्वापर-कली ये 4 युगों की परिबर्तन को मानते हुए परीक्षित ने कलियुग का अनुरोध स्वीकार करते हुए उसको रहने के लिए 4 स्थान दिए।
सुत उवाच
अभ्यर्थितस्तदा तस्मै स्थानानि कलये ददौ।
द्युतं पानं स्त्रीः सूना यत्राधर्मश्चतुर्विधः॥
पुनश्च यचमानय जातरूपमदात्प्रभु:।
ततोऽनृतं मदं कामं रजो वैरं च पंचमम् ॥ [B.G-1.17.38,39]
अनुबाद: सूत गोस्वामी ने कहा: इस प्रकार कलि के आग्रह पर महाराज परीक्षित ने उसे उन स्थानों पर निवास करने की अनुमति दे दी जहाँ जुआ, शराब, वेश्यावृत्ति और पशुवध होता हो । कली के व्यक्तित्व ने कुछ और मांगा और उसकी याचना के कारण राजा ने उसे वहां रहने की अनुमति दे दी जहां सोना है, क्योंकि जहां सोना है वहां झूठ, नशा, वासना, ईर्ष्या और दुश्मनी भी है।
इस प्रकार कलियुग आज भी इन 4 स्थान “जुआ,नशा,अवैध संबंध,मांस भक्षण” पर वास करता है।
ISKCON के 4 नियम-कैसे Follow करे?
आज के समय मै अधर्म से बचने के लोए ये 4 नियमों का निष्ठा पूर्वक पालन करना अत्यंत जरूरी है। तो आगे विस्तार से समझते है ISKCON के 4 नियम क्या है? और कैसे सारे नियमों को पालन करते है?
- No Gambling – जुआ नहीं खेलना। – किसी भी प्रकार का खेल जो पैसा कमाने का प्रोलोभन देता हो अथवा सबकुछ हारने का संभावना उत्पन्न करता हो ऐसे खेल तथा शेयर बाजार, Rummy circle, Casino और सभी Betting Apps से दूर रहना। ये आपकी जीवन में सत्यता का नाश करेगा, आपको झुटा और मिथ्यावादी बनादेगा।
- No Intoxication – नशा का सेवन नहीं करना। – सभी प्रकार के मदिरा पान, गांजा, तमाखू, ड्रग्स, भांग, चरस, बियर, सिगरेट तथा चाय और कॉफी का भी सेवन नहीं करना है। ये सब के सेवन से बुद्दि नाश होगा, जीवन तपस्या रहित होजाएगा, सोचने समझने की शक्ति नहीं बचेगी और चाय पीने से आदत लगजाएगी जो शरीर के लिए लाभदायक नहीं है।
- No Illicit Relationship – अवैध संबंध नहीं रखना। – इससे आपकी पवित्रता नष्ट हो जाएगी, ये माया के द्वारा रची गई सर्वोच्च सुख है। जीसे भोगने के वाद आत्म ग्लानि और अपवित्रता से जीवन भर पश्चाताप करोगे, इसकी अपराध बहुत ही जघन्य है।
- No Meat Eating – मांस भक्षण नहीं करना। – ये पशुओं प्रति अत्याचार है। हम अपनी चंद मिनटों की जिह्वा की स्वाद के लिए एक प्राणी का जीवन ही छिन लेंगे, ये महापाप है। इससे आपके अंदर दया और करुणा समाप्त हो जाता है। खाना हमेशा सात्विक होना चाहिए, राजसिक और तामसिक खाद्य पदार्थ से आपकी बुद्धि और चेतना शक्ति पे नकारात्मक प्रभाब पड़ता है। पशुहत्या हमेशा से बर्जित है, इसके साथ प्याज और लहसुन भी तमो गुणी खाद्य है इसको भी धीरे धीरे छोड़ देना चाहिए।
धर्म की पालन क्यूँ करना चाहिए?
धर्म से मनुष्यों का क्या संबंध? जिस प्रकार अग्नि का धर्म है उष्णता, उष्णता ही अग्नि के जलन तत्व को ग्रहण करती है। अग्नि मैं अगर उष्णता ना रहे तो वो राख होगी अग्नि नहीं रहेगी। इस प्रकार मनुष्य में यदि धर्म ना हो तो ओ दो पैर वाले होकर भी पशु या राक्षस होजाएंगे ओ मनुष्य नहीं कहलाएंगे।
धर्म से ही चित्त की सुधि होती है, चित्त सुधि के बिना भगवान की ओर ले चलने वाले कर्म योग , ध्यान योग, भक्ति योग और ज्ञान योग के मार्ग पर कोई नहीं चलेगा और ना चलसकेगा। “धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष” इन चार पुरुषार्थ में से अर्थ और काम की लालसा बिसेश तरह इस युग में इतनी प्रबल है की लोग इस बात को भूल जाते है की इस अर्थ और काम का मूल धर्म ही है।
धर्म का पालन करने से आप सभी नियमों का पालन करेंगे, जिससे आपका जीवन सार्थक होजाएगा।
ISKCON के 4 नियम क्या है? ये जानने के बाद आपके अंदर क्या भाव आया है? क्या आप भी इन चारों नियमों को पालन करेंगे? अपनी उत्तर Comment करके जरूर बताए।
FAQ
ISKCON का Full Form क्या है?
International Society for Krishna Consciousness.
ISKCON में कैसे जुड़े?
Visit Nearby ISKCON Temple and Chant “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।”
ISKCON के 4 नियम क्या है?
1. No Gambling – जुआ नहीं खेलना।
2. No Intoxication – नशा का सेवन नहीं करना।
3. No Illicit Relationship – अवैध संबंध नहीं रखना।
4. No Meat Eating – मांस भक्षण नहीं करना।
कलियुग की सुरुवात कब हुआ?
शस्त्रों के प्रमाण पर आजसे लगभग 5125 बर्ष पुर्ब 18 February 3102 BCE को भगवान श्री कृष्ण के गोलक गमन के बाद कालीयुग की सुरुवात होगाई थी।
धर्म की 4 परिभाषा क्या है?
दान/तप, पवित्रता, दया और सत्यता ।
कलियुग कितनी स्थान पर बास करता है?
5 स्थान पर, जुआ,नशा,अवैध संबंध,मांस भक्षण और स्वर्ण।